भारतीय सेना पर कविता
रक्षा
था वह दिन जब घुसपैठियों को भगाना था ।
दुश्मनों के हाथों से कश्मीर को बचाना था ।
न मौत का डर था
न गम का साया था
न आँखों में नींद,
बस यादों का सहारा था ।
था वह दिन जब घुसपैठियों को भगाना था ।
दुश्मनों के हाथों से कश्मीर को बचाना था ।
न भूख थी, न प्यास थी
न थी जान की फ़िक्र
लक्ष्य बस एक ही था
तिरंगा फिर से फहराना था
था वह दिन जब घुसपैठियों को भगाना था
दुश्मनों के हाथों से कश्मीर को बचाना था
कठिन रास्ते, जटिल पहाड़ियाँ
जिनसे होकर जाना था
घुसपैठियों को खत्म करके
विजय उन पर पाना था ।
था वह दिन जब घुसपैठियों को भगाना था ।
दुश्मनों के हाथों से कश्मीर को बचाना था ।
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.
कृपया टिप्पणी बॉक्स में कोई स्पैम लिंक दर्ज न करें।